‘भाषा केवल संवाद का माध्यम ही नहीं, वह हमारी आत्मा का प्रतिबिंब भी है’ — मणिमोहन चवरे
मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल की धरोहर समेटे हुए, मणिमोहन चवरे 'निमाड़ी' एक ऐसे साहित्यकार हैं, जिनकी लेखनी से न केवल शब्द निकलते हैं, बल्कि संस्कृति की साँसे भी चलती हैं। वे एक लेखक ही नहीं, निमाड़ी आत्मा के संवाहक हैं।
'हमाराउद्देश्य' : शब्दों से संस्कृति तक
उनकी पुस्तक ‘हमाराउद्देश्य’ केवल साहित्य नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक मिशन का घोषवाक्य है। इस कृति में मणिमोहन जी ने स्पष्ट किया है कि उनका लेखन केवल व्यक्तिगत रचना नहीं, बल्कि भाषा और संस्कृति के प्रति समर्पण है।
इसमें प्रमुख विषय हैं:
निमाड़ी बोली का सौंदर्य
क्षेत्रीय परंपराएँ और लोक-जीवन
भाषाई अस्मिता और उसकी उपेक्षा
नई पीढ़ी को भाषा से जोड़ने का प्रयास
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